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शेयर बाजार में कौनसे फीस और चार्ज लगते है? Fees And Charges of Stock Market

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शेयर बाजार में निवेश करते समय हमें कई प्रकार के शुल्क और चार्जेस देने होते हैं। अगर हम इन शुल्क और चार्जेज के बारे में सही से नहीं समझते है, तो हमसे ब्रोकर अतिरिक्त पैसों की वसुली भी कर सकता है।

इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको शेयर बाजार में लगने वाली फीस, चार्ज और टैक्स के बारे में पूरी जानकार देने वाले हैं।

डीमेट और ट्रेडिंग अकाउंट ओपनिंग फीस

यह फीस आपके डीमेट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए देनी होती है। फीस की राशि ब्रोकर कंपनी के आलावा हमारे चयन के आधार पर विभिन्न हो सकती है, जो 100 रुपये से 500 रुपये तक हो सकती है। क्योंकि अलग-अलग ब्रोकर इसके लिए अलग-अलग फीस लेते हैं, वहीं कुछ ब्रोकर्स डीमेट अकाउंट ओपनिंग फीस नहीं लेते हैं और फ्री में ही हमारा डीमेट और ट्रेडिंग अकाउंट ओपन कर देते हैं। इसलिए यह फीस इस बात पर डिपेंड करेगा कि हम कौनसा ब्रोकर चुनते हैं।

एएमसी (Annual Maintenance Charges) या एनुअल मेंटेनेंस चार्ज

यह फीस हमारे ब्रोकर को हर साल देनी होती है. यह राशि 0 से 900 रुपये तक हो सकती है, लेकीन कुछ ब्रोकर्स ये फीस नहीं लेते हैं।

टैक्सेस और ब्रोकरेज चार्जेस

जब भी हम शेयर्स की खरीदते और बेचते हैं तो उस पर हमें टैक्सेस और ब्रोकरेज चार्जेस देने होते हैं। यह बात ध्यान देने वाली है कि हमें शेयर्स की खरीद और बिक्री दोनों पर चार्जेस और टैक्सेस देने होते हैं। यह चार्ज इस बात पर डिपेंड करता है कि हम कितने अमाउंट की बाइंग और सेलिंग कर रहे हैं, हम जितने बड़े अमाउंट की बाइंग सेलिंग करेंगे हमारे चार्जेस उतने ज्यादा होंगे।

डीपी (Delivery Percentage) चार्ज

जब भी हम अपने डीमेट अकाउंट में रखे शेयर्स को बेचते है तो हमें डीपी चार्जेस देना होता है और अलग-अलग ब्रोकर्स इसके लिए अलग-अलग चार्ज लेते हैं। आमतौर पर यह 10 से 20 रुपये तक ही होता है।

डीपी चार्ज सिर्फ उसी दिन लगता है जिस दिन हम किसी कंपनी के शेयर्स को सेल करते हैं और एक दिन में हम एक कंपनी के कितने भी शेयर्स सेल करें हमें डीपी चार्ज सिर्फ एक बार ही देना होता है।

अगर हम एक दिन में दो अलग-अलग कंपनियों के शेयर्स सेल करेंगे तो दोनों कंपनियों के लिए हमें दो बार डीपी चार्ज देना होगा। वहीं अगर हम एक कंपनी के शेयर्स को दो अलग-अलग दिन सेल करते हैं तो भी हमें डीपी चार्ज दो बार देना होगा।

कैपिटल गेन टैक्स

हमें अपने प्रॉफिट पर भी टैक्स देना होता है जिसे कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है और ये दो तरह के होते हैं।

  • शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स – ये टैक्स उस प्रॉफिट पर लगता है जो हमें 1 साल से कम समय के लिए शेयर्स होल्ड करने से हुआ हो। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स में हमें सीधे अपने प्रॉफिट पर 15% का टैक्स देना होता है।
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स – टैक्स उस प्रॉफिट पर लगता है जो हमें एक साल से ज्यादा टाइम के लिए शेयर्स होल्ड करने से हुआ हो, इसमें एक लाख रुपये के प्रॉफिट पर कोई टैक्स नहीं देना होता है लेकीन एक लाख से ज्यादा के प्रॉफिट पर 10% का टैक्स लगता है।

यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हम अपने निवेश पर कितना शुल्क और टैक्स देने के लिए जिम्मेदार हैं, और हमें इन विवादित मुद्दों को समझने के लिए वित्तीय सलाहकार की सलाह लेनी चाहिए

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What is Mutual Fund In Hindi: म्यूचुअल फंड्स क्या होते है, इसमें निवेश कैसे करें?

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What is Mutual Fund In Hindi: आपने टीवी पर कई बार विज्ञापनों में देखा होगा, जहां बोला जाता है कि म्यूचुअल फंड सही है. लेकीन फिर भी आपके दिमाग में अनिश्चितता रहती है. क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना वास्तव में उतना ही सही है जितना वे विज्ञापन दावा करते हैं?

इस लेख में, हम जानेंगे की म्यूचुअल फंड क्या होते हैं, वे कैसे काम करते हैं, इसकी व्यापक समझ प्रदान करेंगे. और आपका इनमें निवेश करने के तरीके के बारे में भी मार्गदर्शन करेगें.

म्यूचुअल फंड क्या हैं?


म्यूचुअल फंड की अवधारणा को समझने के लिए, यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि वे केवल शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में नहीं हैं. म्यूचुअल फंड आपको विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों, जैसे सोना, अचल संपत्ति, ऋण निधि और इक्विटी में निवेश करने का साधन प्रदान करते हैं. ये निवेश विविधीकरण और जोखिम और वापसी विकल्पों की एक सरणी के लिए अनुमति देते हैं.

जोखिम-वापसी गतिशील


जब म्यूचुअल फंड की बात आती है, तो आपको जोखिम-वापसी को गतिशील समझना चाहिए. जबकि वे उच्च रिटर्न की पेशकश कर सकते हैं, वे जोखिम के विभिन्न स्तरों के साथ होते हैं, खासकर जब इक्विटी में निवेश करते हैं. इक्विटी निवेश की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन वे समय के साथ पर्याप्त लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं.

म्यूचुअल फंड में निवेश


म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए, तीन प्राथमिक रास्ते हैं. पहले में स्व-अनुसंधान और व्यक्तिगत स्टॉक चुनना शामिल है. जबकि यह विधि स्वायत्तता प्रदान करती है, इसके लिए पर्याप्त ज्ञान और समय की आवश्यकता होती है.

दूसरा दृष्टिकोण एक शोध विश्लेषक या एक निवेश सलाहकार की सेवाओं को सूचीबद्ध करना है. यहां, आप एक विशेषज्ञ के मार्गदर्शन पर भरोसा करते हैं, लेकिन आप शेयरों की वास्तविक खरीद और बिक्री के लिए जिम्मेदार रहते हैं.

तीसरा, और अक्सर सबसे सुविधाजनक, रास्ता स्वयं म्यूचुअल फंड के माध्यम से होता है. म्यूचुअल फंड के साथ, आपको निरंतर निगरानी या व्यापार के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. आप केवल एक फंड का चयन करते हैं जो आपके निवेश लक्ष्यों के साथ संरेखित करता है.

म्यूचुअल फंड्स कैसे काम करते हैं?


म्यूचुअल फंड की सुंदरता यह है कि वे आपको सीमित पूंजी के साथ भी निवेश करने की अनुमति देते हैं. मान लीजिए कि आप 20,000 रुपये का निवेश करना चाहते हैं. यदि आप MRF, Page Industries, या Eicher Motors जैसी जानी-मानी कंपनियों के अलग-अलग शेयर खरीदने का प्रयास करते हैं, तो आप पा सकते हैं कि अकेले एक शेयर आपकी निवेश राशि से अधिक खर्च करता है. यह वह जगह है जहां म्यूचुअल फंड कदम रखते हैं.

कई निवेशकों से म्यूचुअल फंड पूल मनी, और इन पूल फंडों को निवेश करने के लिए एक फंड मैनेजर जिम्मेदार है. उदाहरण के लिए, आपसे 500 रुपये और 100 अन्य निवेशकों से 500 रुपये के साथ, फंड मैनेजर पेज इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों के शेयर खरीद सकता है. बदले में, आप निवेश में अपने हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हुए, म्यूचुअल फंड इकाइयां प्राप्त करते हैं.

म्यूचुअल फंड में निवेश करके, आप अपेक्षाकृत मामूली पूंजी के साथ भी अपने निवेश को व्यापक श्रेणी में बदल सकते हैं.

म्यूचुअल फंड के लाभ

  1. विविधीकरण: म्यूचुअल फंड आपको सीमित पूंजी के साथ भी विभिन्न कंपनियों और परिसंपत्ति वर्गों में अपने निवेश में विविधता लाने की क्षमता प्रदान करते हैं.
  2. विशेषज्ञ प्रबंधन: म्यूचुअल फंड अनुभवी फंड प्रबंधकों तक पहुंच प्रदान करते हैं जो आपकी ओर से निवेश निर्णय लेते हैं.
  3. सरलीकृत निवेश: म्यूचुअल फंड निरंतर स्टॉक निगरानी और व्यापार से परेशानी उठाते हैं.
  4. व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी): एसआईपी आपको नियमित रूप से एक निश्चित राशि निर्धारित करने की अनुमति देते हैं, जिससे निवेश निर्बाध हो जाता है.
  5. लचीलापन: आप अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार अपने एसआईपी निवेश को संशोधित या बंद कर सकते हैं.

म्यूचुअल फंड के नुकसान

  1. फंड कंपनियों की लालच: कुछ म्यूचुअल फंड कंपनियां प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने पर ध्यान केंद्रित करने की तुलना में संपत्ति इकट्ठा करने में अधिक रुचि रखती हैं.
  2. टाइमिंग कंट्रोल की कमी: आप, एक निवेशक के रूप में, जब आपका पैसा निवेश किया जाता है या बाजार से वापस ले लिया जाता है, तो आप नियंत्रित नहीं कर सकते.
  3. ओवर-कंजर्वेटिव दृष्टिकोण: कुछ फंड मैनेजर कम-जोखिम, उच्च-विकास संभावित शेयरों पर अच्छी तरह से ज्ञात स्टॉक चुनते हैं, जो रिटर्न को प्रभावित करते हैं.
  4. जनादेश प्रतिबंध: निधि में विशिष्ट अधिदेश होते हैं जो निधि प्रबंधक के निवेश विकल्पों को सीमित कर सकते हैं.


म्यूचुअल फंड का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग लक्ष्य-आधारित योजना के लिए है. चाहे वह आपके बच्चों की शिक्षा, एक सपने की छुट्टी, या आपकी सेवानिवृत्ति के लिए बचत हो, म्यूचुअल फंड आपके उद्देश्यों के अनुरूप हो सकते हैं. आप एक पोर्टफोलियो बना सकते हैं जो आपके विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों के साथ संरेखित करता है.

निष्कर्ष


म्यूचुअल फंड की दुनिया निवेश के अवसरों का एक शानदार प्रवेश द्वार हो सकती है. मूल बातें और गतिशीलता को समझकर, आप आत्मविश्वास से अपनी निवेश यात्रा शुरू कर सकते हैं. याद रखें कि म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के विकल्प प्रदान करते हैं और नौसिखिए और अनुभवी निवेशकों दोनों के लिए एक उपयोगी उपकरण हैं. हालांकि, अपने विशिष्ट वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहिष्णुता के अनुसार अपने निवेश की योजना बनाना हमेशा याद रखें.

जैसा कि आप अपने म्यूचुअल फंड निवेश पर विचार करते हैं, यह गहन शोध करने, अपनी जोखिम सहिष्णुता का विश्लेषण करने और तदनुसार अपनी निवेश रणनीति की योजना बनाने के लिए आवश्यक है. चाहे आप धन सृजन, शिक्षा योजना, या सेवानिवृत्ति सुरक्षा के लिए म्यूचुअल फंड चुनते हैं, वे आपके वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपकी सहायता करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हैं.

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PMS इन्वेस्टिंग क्या होती है और कैसे की जाती है? What is PMS Investing in Hindi

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आज के दौर में म्युचुअल फंड्स आम पब्लिक के लिए निवेश करने का बहुत अच्छा विकल्प हैं और इसी बात को ध्यान में रखते हुए सेबी ने आम निवेशक की सुरक्षा के लिए बहुत सारे नियम बनाए हैं. जो म्युचुअल फंड्स और ईटीएफ (ETF) को कई तरह के रिस्की इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजी फॉलो करने से रुकते है. पर अगर हमारे पास पैसे थोड़े ज्यादा है और हम बिना किसी रोक टोक के निवेश करना चाहते हैं तो हम उसके लिए पीएमएस (PMS) में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं.

पीएमएस (PMS) क्या होता है?

पीएमएस (PMS) का मतलब होता है पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज और ये म्युचुअल फंड्स और ईटीएफ से थोड़े अलग होते हैं. इसमें इन्वेस्टमेंट करने के लिए हमें पीएमएस के पास अपना नया डीमेट अकाउंट और बैंक अकाउंट खुलवाना होता है. पीएमएस में हमारे पैसे किसी आम फंड में नहीं जाते बल्कि पीएमएस के द्वारा जारी हुए हमारे नए बैंक अकाउंट में ही रहते हैं. पीएमएस में एक पोर्टफोलियो मैनेजर होता है जो हमारे इन्वेस्टमेंट को मैनेज करता है.

पीएमएस में हमारे पैसों से खरीदे गए शेयर्स हमारे नए डीमेट अकाउंट में रहते हैं. इस तरह से यहां पर हमारे पैसों से हमारे नाम पर ही शेयर्स बाय होते हैं बस हमारे पोर्टफॉलियो को मैनेज पोर्टफॉलियो मैनेजर करता है.

PMS इन्वेस्टिंग फीस और चार्ज

सीएमएस में इन्वेस्टमेंट करने के चार्ज म्युचुअल फंड्स और ईटीएफ में इन्वेस्टमेंट करने के चार्ज से ज्यादा होते हैं. हमें इसमें अपने इन्वेस्टमेंट अमाउंट पर सालाना एक से तीन फिसदी मैनेजमेंट फीस के साथ-साथ एक से तीन परसेंट की एंट्री फीस और फिर शेयर्स बाय और सेल करने पर फीस भी देनी होती है.

PMS में निवेश करने में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की हमें इसमें निवेश करने के लिए कम से कम 50 लाख रुपये चाहिए होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पीएमएस में म्युचुअल फंड से कहीं ज्यादा जोखिम होता है और इसलिए इसमें इन्वेस्ट करने के लिए यह जरूरी है की हमारे पास अच्छे खासे पैसे हो.

पीएमएस निवेश (PMS) के प्रकार

पीएमएस मुख्यतः तीन तरह के होते हैं

  • Discretionary PMS: जिसमें पोर्टफोलियो मैनेजर ही हमारा पूरा पोर्टफोलियो मैनेज करता है, किस शेयर को खरीदना है और किसे बेचना यह निर्णय भी वह खुद लेता है.
  • Non Discretionary PMS: जिसमें पोर्टफोलियो मैनेजर कोई भी शेयर बाय सेल करने से पहले हमसे पुछता है. इसमें निवेश का निर्णय हमारा यानी PMS अकाउंट होल्डर का होता है जबकी यह काम भी पोर्टफॉलियो मैनेजर ही करता है.
  • Advisory PMS: इसमें पोर्टफॉलियो मैनेजर किसी भी शेयर को खरीदने या बेचने की अकाउंट होल्डर को सलाह देता है, लेकीन उस पर एक्शन लेने का काम अकाउंट होल्डर का ही होता है.

निष्कर्ष

दोस्तों स्टॉक मार्केट में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से निवेश करना सही है और अगर कुछ सही नहीं है तो वो है निवेश ही ना करना. अगर हम खुद से इन्वेस्टिंग सिख कर इन्वेस्टिंग करना चाहे तो हमें जरूर डायरेक्ट इन्वेस्ट करना चाहिए. लेकीन अगर हम ऐसा नहीं करना चाहते तो हमें इनडायरेक्ट म्युचुअल फंड्स में निवेश करना चाहिए पीएमएस में निवेश करने में अमाउंट बहुत ज्यादा लगता है, और यह रिस्की भी होता है. इसलिए पीएमएस में इन्वेस्ट करने से पहले आपको किसी अच्छे वित्तीय सलाहाकार से सलाह जरुर लेनी चाहिए.

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Is Stock Market Gambling: क्या शेयर मार्केट जुआ है?

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शेयर मार्केट में ऐसे बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो ना तो फंडामेंटल एनालिसिस करके लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्टिंग करते हैं और ना ही टेक्निकल एनालिसिस करके ट्रेडिंग करते हैं. बल्कि यह लोग किसी की भी बातें सुनकर बिना सोचे समझे और एनालिसिस किए कोई भी स्टॉक खरीद लेते हैं और उम्मीद करते है की उनकी किस्मत बहुत अच्छी हो और उनके खरिदे हुए स्टॉक का प्राइस दो गुना या पांच गुना हो जाए.

दोस्तों ऐसे लोग स्टॉक मार्केट को जुआ यानी गैंबलिंग और किस्मत का खेल समझते हैं और इसलिए वो शेयर खरीद कर अपना लक ट्राई करना समझते हैं. ऐसे में उन्हें अपने इन्वेस्टमेंट पर नुकसान होता है और फिर वो दूसरों को यह बताते हैं कि स्टॉक मार्केट जुआ और किस्मत का खेल है.

क्या कहना है विजय केडिया का

दोस्तों भारत के सबसे सफल इन्वेस्टर्स में से एक विजय केड़िया कहते हैं कि हमें इंजीनियर डॉक्टर या आईएएस बनने के लिए कितनी ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ती है. यहां तक कि 10000 रुपये सैलरी की जॉब पाने के लिए भी बहुत मेहनत लगती है पर जब बात स्टॉक मार्केट की आती है तो लोगों को लगता है कि यह तो आसान है. और इसी गलतफहमी में लोग बिना रिसर्च किए कोई भी कंपनी के शेयर्स बाय कर लेते हैं.

दोस्तों स्टॉक मार्केट में 90% से ज्यादा लोगों को नुकसान ही होता है और उसकी वजह यही है कि लोग बिना तैयारी के स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टिंग करने लगते हैं.

इन्वेस्टिंग को दें महत्व

दोस्तों इन्वेस्टिंग को हमें एक सीरियस बिजनेस समझना चाहिए क्योंकि हम यहां पर अपने कीमती पैसों को इन्वेस्ट करते है. बिना जानकारी के इन्वेस्टमेंट करने से हमें सिर्फ नुकसान ही होगा. हमें किसी भी कंपनी में पूरे रिसर्च और एनालिसिस के बाद ही इन्वेस्टमेंट करना चाहिए और हमेशा अच्छी और स्ट्रांग कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए.

अमेरिका के सबसे सफल म्यूचुअल फंड मैनेजर पीटर लिंच कहते हैं कि अच्छी कंपनियों के बारे में इन्वेस्टर से कहीं पहले पब्लिक को पता चलता है क्योंकि पब्लिक उन कंपनियों के प्रोडक्ट्स और सर्विसेस को सालों से इस्तेमाल करती रहती है. और अगर हम अपने घर में या डेली लाइफ में इस्तेमाल होने वाली चीजों पर ध्यान दें तो हो सकता है कि हम कई अच्छी कंपनियों को ढूंढ ले.

अक्सर लोग यह गलती करते हैं कि जब उनके पास इन्वेस्ट करने के लिए फंड्स आते हैं तभी वो अच्छी कंपनियों को ढूंढना स्टार्ट करते हैं. जो एक गलत स्ट्रेटजी है हमें अच्छी कंपनियों को ढूंढने का काम हमेशा करते रहना है ताकि हमारे पास पहले से ही अच्छी कंपनियों की एक लिस्ट रेडी रहे. जब मार्केट क्रैश हो या हमारे पास फंड्स आए तो हम अपनी लिस्ट में से उन कंपनियों में इन्वेस्ट करें जो हमें सस्ती प्राइस पर मिल रही हो दोस्तों सक्सेसफुल इन्वेस्टर्स अपने लिए अच्छी कंपनियों की लिस्ट बनाकर रखते हैं.

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